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भाखड़ा डैम में पिछले साल से 20 फुट कम पानी; 8 दिन ही चलेंगी नहरें, जलघरों के टैंक भरने के निर्देश

Bhakra Dam has 20 feet less water than last year; Canals will run for only 8 days, instructions to fill water tanks

मानसून सीजन में भाखड़ा डैम के कैचमेंट एरिया में बरसात कम होने के चलते इस बाद डैम में पिछले साल से 20 फुट कम पानी है। आगे गर्मी के सीजन में पेयजल संबंधी समस्या न हो इसके लिए सिंचाई विभाग ने नहरों की रोटेशन को बदल दिया है। नए आदेशों के मुताबिक अब जिले की सभी नहरों में 16 की बजाय 8 दिन ही पानी छोड़ा जाएगा और 16 दिन नहरें बंद रहेंगी। नहरें बंद रहने के दौरान गांवों में पेयजल संबंधी कोई परेशानी न आए इसलिए सिंचाई विभाग ने जन स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया है कि वे गांवों के जलघरों के टैंकों को 8 दिन में ही भर लें।

वहीं इस समय गेहूं की फसल में कौर लगाने का काम चल रहा है, ऐसे में नहरबंदी का समय बढ़ने से अब किसानों को गेहूं की फसल में कौर लगाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। विभाग के अनुसार अब डैम में पानी भर नहीं रहा, क्योंकि इस मौसम में बरसात नहीं होती और बर्फ भी नहीं पिघलती, लेकिन मई के अंत में गर्मी बढ़ने से बर्फ पिघलती है, जिससे डैम में फिलिंग शुरू हो जाती है, इसके बाद फिर नहरों की 2 रोटेशन हो सकती हैं।

143 गांवों में नहरी पानी आधारित हैं जलधर
जिले की 259 ग्राम पंचायतों में से 143 पंचायतें ऐसी हैं, जिनमें जलघरों के माध्यम से नहरी पानी की सप्लाई होती है। अब विभाग इन गांवों के जलघरों के टैंकों को 8 दिन में फुल करेगा ताकि 16 दिन की नहरबंदी के दौरान गांवों में पेयजल की कमी न आए।

दो साल से डैम में घट रहा पानी
डैम के कैचमेंट एरिया में कम बरसात होने के चलते पिछले दो साल से डैम का जलस्तर लगातार घट रहा है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार 12 दिसंबर 2022 को डैम में 1653.10 फुट पानी था, जबकि 12 दिसंबर 2023 भाखड़ा डैम में 10 फुट कम यानि 1643.25 फुट पानी था, लेकिन 12 दिसंबर 2024 को डैम में 1623.57 फुट पानी दर्ज किया गया है। डैम में 2 साल में 30 फुट पानी कम होने के कारण विभाग ने नहरों की रोटेशन बदली है।

जिले में 80 नहरें, 5 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र होता है सिंचित
यहां बता दें कि जिले में सिंचाई विभाग की छोटी-बड़ी कुल 80 नहरें हैं, जो विभिन्न गांवों को कनेक्ट करती हैं, जिले में 5 लाख एकड़ से अधिक सिंचित एरिया है यानि इतनी भूमि में नहरी पानी से सिंचाई होती है। अब नहरें 16 की बजाय 8 दिन चलने से सिंचाई के लिए कम पानी मिलेगा।

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